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सेल्फी डॉट कॉम उर्फ इश्तिहार-ए-इश्क: कविताएं (first Book 1) (Hindi Edition)

यूं ही...


चीजों के आरपार देखना अक्सर खतरनाक होता है। किसी की अनचाही, बेहद निजी पीरें भीतर विचलन पैदा कर देती हैं। सेल्फी डॉट कॉम उर्फ इश्तिहार-ए-इश्क की कविताएं ऐसे ही विचलन से पैदा हुई हैं। कुछ चीजें न चाहते हुए भी फटती चली गईं। रोकना मुनासिब भी नहीं था। अब इन्हें आपसे साझा करने की जुर्रत की है।
अखिलेश कुमार

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